कई लोगों के लिए नई कार खरीदने का काम थका देने वाला होता है. इस प्रक्रिया में पहले तो अपनी पसंद की कार को चुनना, बढ़िया दामों पर लेने के लिए सही डीलरशिप की खोज, तमाम कागज़ी कार्यवाही और भी ऐसे कितने सारे काम हैं जो कई लोगों के लिए पहाड़ तोड़ने जैसे होते है. हालांकि अगर आप सही फैसले लेने और ज़रा सा दिमाग लगाने के आदि हैं तो आपके लिए कार खरीदना चुटकियों का खेल है. इसलिए आज हम आपको बताने वाले हैं वो 10 गलतियाँ जो नई कार खरीदते वक़्त लोग अक्सर कर बैठते हैं.
कार की डिलीवरी लेने से के पहले उसका मुआयना
कार खरीदते वक़्त लोग इस पहलू को अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते है. कार को शोरूम से निकलने के पहले उसका मुआयना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे प्री-डिलीवरी इंस्पेक्शन कहते हैं (PDI) जिसमें मालिक को सौंपने से पहले एक बार पूरी तरह से कार का निरीक्षण किया जाता है. कई बार डीलर्स इस प्रक्रिया को दरकिनार कर मालिक कार बिना PDI सर्टिफिकेट के ही दे देते हैं. कई लोगों को इस प्रक्रिया की जानकारी भी नहीं होती और वह इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया से गुज़रे बगैर ही कार घर ले आते हैं. हालांकि हर किसी को अपनी कार को शोरूम से लेने के पहले उसका PDI सर्टिफिकेट ज़रूर ले लेना चाहिए. भले ही डीलर इस बात पर आनाकानी करे परन्तु आपको इस प्रक्रिया के पूरे किए जाने पर ज़ोर देना चाहिए. इस तरीके से आप कार में किसी मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट के सरदर्द से छुटकारा पा लेते हैं.
अच्छी कीमत के लिए एक से अधिक डीलर्स से कीमत की जानकारी न लेना
यह एक बहुत पुराना तरीका है जिसके ज़रिए आप एक से अधिक डीलर्स द्वारा आपकी पसंद की गई कार की कीमतों की जानकारी लेकर अपनी कार पर बढ़िया डिस्काउंट उठा सकते हैं. इसका मतलब यह है की आप एक ही कंपनी के तीन चार अलग-अलग डीलर्स से अपनी पसंद की कार की कीमतों की जानकारी मंगवा उनमें से सबसे सस्ते दामों पर कार देने वाले डीलर का चुनाव करते हैं. और सबसे कम कीमत पर कार देने वाले डीलर का हवाला दे कर आप अन्य डीलरों से मोलभाव कर इससे भी कम दाम पर कार खरीद सकते हैं लेकिन ऐसा करना कभी-कभी सफल नहीं हो पाता.
कार की रीसेल वैल्यू
अगर आप कार को 3-4 सालों में बेचना चाहते हैं तो पिंक रंग बिल्कुल नहीं खरीदें
किसी भी कार को खरीदते वक़्त उसकी रीसेल वैल्यू को हमेशा दिमाग में रखिये. अगर आप अपनी कार का इस्तेमाल 8-10 सालों के लिए करना चाहते हैं तो आपके लिए यह कोई मुद्दा नहीं लेकिन जो लोग अपनी कार को 4-5 सालों में बदल लेने में विश्वास रखते हैं, उनके लिए रीसेल वैल्यू एक बड़ा मुद्दा होता है. इसलिए कार लेते वक़्त सही ब्रैंड और सिल्वर जैसे लोकप्रिय रंगों का ही चुनाव करें. जैसा की हमने पहले भी कहा कि रीसेल वैल्यू उन लोगों के लिए मायने नहीं रखती जो अपनी कार का उपयोग एक लम्बे समय के लिए करने वाले हैं या कार-प्रेमी हैं. नहीं तो इस बात को कार लेते वक़्त हमेशा दिमाग में रखिये.
कार खरीदने के लिए सही समय की जानकारी
अपनी नयी कार को बढ़िया दामों पर खरीदने का एक आसान तरीका है कार को खरीदने के लिए सही समय का चुनाव. साल के कई ऐसे हिस्से होते हैं जब कार निर्माता अपनी कार्स पर अच्छा-खासा डिस्काउंट देती हैं. साल के आखिरी दिनों और त्योहारों का मौसम ऐसे समय हैं जब कंपनियां अपने उत्पादों पर बड़ी छूट देती हैं. ऐसे ही महीने के अंत और तिमाही के अंत में भी ठीक-ठाक डिस्काउंट मिलते है हालांकि यह डिस्काउंट अधिकतर डीलरशिप्स की ओर से दिए जाते हैं.
असल में हर महीने के अंत और तिमाही के अंत में डीलरशिप्स की सेल्स विभाग पर लक्ष्य पूरा करने का दबाव होता है. अगर आप मोल-भाव में माहिर हैं तो डीलरशिप्स की ओर से भी आपको बढ़िया डिस्काउंट मिल सकता है. तो इस बात का ध्यान रहे की कार लेते वक़्त आप जम कर मोल-भाव करें, क्या पता आपके भाग्य में कुछ बेहतरीन डिस्काउंट लिखे हों.
आफ्टर सेल्स की जानकारी
एक अच्छी कार खरीद लेने का मतलब यह बिल्कुल नहीं होता कि आप सारी परेशनियों से पार पा गए हैं. नई कार खरीदने के पहले आफ्टर सेल्स सर्विस के पहलू पर विशेष ध्यान देने की ज़रुरत होती है. इस बात को पहले से सुनिश्चित कर लें कि आप जिस कार को खरीद रहे हैं उस कंपनी का सर्विस सेण्टर आपकी पहुँच में है या नहीं. कुछ ब्रांड्स के सर्विस सेण्टर उनकी कार के बेचे जाने वाले शहर से 150-200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होते हैं. तो ऐसे ब्रैंड की कार लेने से परहेज़ करें और वही कार खरीदें जिसका सर्विस सेण्टर आपके घर के आस-पास ही स्थित हो. अपनी कार की नियमित जांच और रख-रखाव लम्बे समय के इस्तेमाल के दौरान इसे परेशानियों से दूर रखता है लेकिन नियमित रख-रखाव के लिए ज़रूरी है की कार का सर्विस सेण्टर आपकी पहुँच में हो.
पेट्रोल या डीजल
ये दुविधा कई लोगों के सामने आती है क्योंकि लोग डीजल की माइलेज और पेट्रोल की परफॉरमेंस के बीच चुन नहीं पाते. सबसे पहले, अगर आप कम ड्राइव करते हैं तो डीजल गाड़ी मत खरीदिये. अगर आप अपनी गाड़ी को अक्सर शहर में इस्तेमाल करते हैं तो आपको पेट्रोल गाड़ी लेनी चाहिए. लेकिन अगर आप अक्सर हाईवे पर चलते हैं तो आपको डीजल कार खरीदनी चाहिए. दरअसल, औसत कस्टमर आंकड़ों के मुताबिक़, भारत में लगभग 80% लोगों को पेट्रोल गाड़ी खरीदने की ज़रुरत होती है.
बिना टेस्ट ड्राइव के कार खरीदना
कार खरीदने से पहले टेस्ट ड्राइव लेना एक बेहद ज़रूरी कदम है और आपको ऐसा ज़रूर करना चाहिए. ये आपको कार के असल दुनिया में व्यवहार की जानकारी देता है. साथ ही, टेस्ट ड्राइव के दौरान आपको डीलरशिप द्वारा चुने गए रास्ते के बजाये अपने पहचान वाले रस्ते पर जाना चाहिए. कार को थोड़ी खराब सड़क पर चलकर देखें ताकि आपको उसके परफॉरमेंस, हैंडलिंग, और सस्पेंशन का अंदाजा लग सके.
डीलर की स्कीम
एक बार जब आपने ऊपर की सारी बातों पर काम कर लिया है, आपको डीलर के स्कीम से बचन होगा. जैसे गाड़ी में टेफ़लोन कोटिंग या क्षार-प्रतिरोधी कोटिंग न करवाएं क्योंकि डीलरशिप की कीमत काफी ज़्यादा होती है. आप ऐसी चीज़ों को किसी दूसरे गेराज से काफी कम कीमत पर करवा सकते हैं. निर्माता की एक्सेसरीज़ को भी ध्यान से चुनें. हमेशा इस बात को ध्यान में रखें की केवल काम आने वाली ही एक्सेसरीज़ को चुनना बेहतर होता है.
हैंडलिंग चार्ज देने से मन करें
डीलरशिप्स गलत तरीके आजमाने के लिए प्रसिद्ध हैं. इनमें से एक है हैंडलिंग चार्ज, जिसे वो आम कस्टमर्स के कुल बिल में जोड़ लेते हैं. अगर आपकी बिल में ऐसा कुछ चार्ज दिखे, उसे तत्काल रूप से हटवाएं. दरअसल, हैंडलिंग चार्ज गैरकानूनी होते हैं और डीलरशिप पर इसके लिए जुर्माना लगाया जा सकता है. अगर डीलरशिप फिर भी इस चार्ज को लेकर ज़िद्द करे तो आपको ब्रांड के कस्टमर केयर डिपार्टमेंट से संपर्क करना चाहिए.
बीमा चुनना
अंत में सबसे ज़रूरी कदम होता है बीमा चुनना, और इसपर डीलरशिप पर भरोसा ना करें. हमेशा कई ब्रांड की बीमा पर विचार करें एवं बीमा सुरक्षा की पूरी जानकारी लें, अगर आप बाढ़ वाले इलाके में रहते हैं तो उसी के अनुरूप बीमा चुनें. आमतौर पर डीलर्स महंगे बीमा को चुन लेते हैं और कस्टमर्स के इसके बारे में पता नहीं होता. आप Policybazaar और Coverfox जैसे वेबसाइट के ज़रिये कुछ अच्छी डील की जानकारी लेकर अपने पैसे बचा सकते हैं.