देश के कई हिस्सों से कारों में आग लगने की खबर अब एक बहुत आम बात हो गई है। ज्यादातर मामलों में यात्री सुरक्षित बच जाते हैं, हालांकि कुछ मामलों में लोगों ने अपनी जान भी गँवाई है। पिछले तीन सालों में, केरल ने लगभग 207 वाहनों की आग लगने की रिपोर्ट है, और इसमें छः लोगों की जानें भी चली गई हैं। केरल सरकार द्वारा एक विशेष समिति का गठन किया गया था जिसका उद्देश्य कारों में आग की इन घटनाओं की जांच करना था। अपनी जांच पूरी करने के बाद समिति इस नतीजे पर पहुंची कि राज्य में वाहनों में आग लगने के तीन संभावित कारण हो सकते हैं।
सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने पाया है कि मॉडिफिकेशन, ईंधन या विस्फोटक सामग्री गाड़ी में ले जाना, और एक विशेष प्रकार का कीड़ा भी आग के संभावित कारण हो सकते हैं।
मॉडिफिकेशन
कई कार खरीदने वालों के बीच एक सामान्य प्रवृत्ति यह है कि वे कार का लोअर वैरिएंट खरीदते हैं और फिर उसे किसी एक्सेसरीज की दुकान से अपनी पसंद के अनुसार मॉडिफाई करवाते हैं। इस तरीके से, ग्राहक बहुत कुछ पैसे भी बचाता है और वह फीचर्स आदि भी प्राप्त कर लेता है जो उसकी लोअर वैरिएंट कार में नहीं होते। हालांकि, इसमें काफ़ी खतरा भी है। कई बार ऐसी दुकानों में, वे एक्सेसरीज और अन्य सहायक उपकरण स्थापित करने के लिए कार की मूल वायरिंग में काट-छाँट करते हैं। इस प्रकार की अक्सेसरीज में प्रयुक्त तार की गुणवत्ता और उन्हें लगाने के गैर तकनीकी तरीके अक्सर समस्याओं का कारण बनते हैं। ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं जहां इस प्रकार के वाहन जिनमें बाजार में बदली गई लाइट्स या उपकरणों की वजह से शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई है। वर्तमान में इन 207 आग के मामलों में यह भी एक संभावित कारण माना जा रहा है।
कार में ईंधन का परिवहन (ट्रांसपोर्टेशन ऑफ़ फ्यूल)
केरल में पेट्रोल की मूल्य 100 रुपये से ऊपर है, और लोग इस बारे में बहुत खुश नहीं हैं। जाँच समिति ने पाया कि पेट्रोल की अधिक मूल्य बहुत से लोगों को वास्तव में वहाँ से ईंधन प्राप्त करने के लिए उकसाता है, जहाँ कहीं भी मूल्य तुलनात्मक रूप से कम है। लेकिन ईंधन को कार में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना बहुत खतरनाक है, क्योंकि पेट्रोल अत्यधिक विस्फोटक होता है, और छोटी सी आग भी कार में आग लगाने के लिए काफी है। यह तो ठीक है की जहाँ मूल्य कम हो वहां पर आप कार का टैंक पूरा भर लें किन्तु , कार में ईंधन को कैन या बोतल आदि में भरकर ले जाना अत्यधिक खतरनाक है।
कीट प्रकोप
समिति ने अपनी जांच में एक तीसरा संभावित कारण यह पाया कि बहुत सी कारों की ईंधन पाइप लाइनों पर एक विशेष प्रकार की कीट हमला कर देती है। यह आमतौर पर पेट्रोल कारों में एथेनॉल के कारण होता है। देश के अधिकांश पेट्रोल पंप अब एथेनॉल मिश्रित ईंधन प्रदान कर रहे हैं। कीट ईंधन में मौजूद एथेनॉल से आकर्षित होती है और ईंधन तक पहुँचने के लिए पाइप लाइनों को काट देती है। कई ऐसे मामले हुए हैं जहाँ लोगों ने अपनी ईंधन पाइप लाइनों में छिद्र पाए हैं और बहुत सी कारों में आग लगने का यह भी एक कारण है।
समिति आगामी दिनों में इस मामले पर विस्तृत जाँच करेगी। अधिकांश आग के मामले पेट्रोल कारों में ही हुए हैं। इसके अलावा समिति राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों में लगी आग की आग की भी जाँच करेगी। वे इस मामले पर वैज्ञानिक परीक्षण करने के लिए इस माह के 26, 27, और 28 तारीखों में फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद भी लेंगे। इस मामले पर विस्तृत अनुसंधान करने के बाद, समिति की उम्मीद है कि वह सभी टेस्ट्स हो जाने के दो महीने बाद सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। समिति ने कारों पर साजावट और संशोधन काम करने वाली दुकानों पर छापों का आयोजन करने की अनुमति के लिए न्यायालय से अनुमति मांगी है।