1981 में एक ऐसी कंपनी की स्थापना की गयी थी जो आगे चलकर इतिहास रचने वाली थी. हालांकि उस वक़्त किसी को अंदाज़ा भी नहीं था की ये कंपनी एक दिन सबके सपनों से भी आगे बढ़ जायेगी. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं Maruti Suzuki की. देश की सबसे बड़ी कार निर्माता ना सिर्फ कार मार्केट में अग्रणी है, बल्कि इसने जनता के दिल में भी जगह बना ली है. यादों से जुड़े होने के साथ ही आज Maruti Suzuki एक मॉडर्न कंपनी भी बन चुकी है. इसी के साथ पेश हैं Maruti Suzuki के बारे में 5 बातें जो आप नहीं जानते.
आकंड़े
आज भले ही कई नए ब्रांड Maruti को टक्कर दे रहे हों. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब इंडियन कार मार्केट में Maruti का ऐसा दबदबा था की वर्ष 1997 में देश में बिकने वाली हर 10 गाड़ियों में से 8 गाड़ियाँ Maruti की हुआ करती थीं. ऐसा वर्चस्व शायद ही कभी कोई कंपनी इंडिया में दुबारा हासिल कर पाए.
ऐसी स्पीड
आजकल बढ़ते हुए टेक्नोलॉजी के साथ हर कंपनी अपने कार्स को बनाने के लिए रोबोट का इस्तेमाल करती हैं. लेकिन मेक इन इंडिया पर अमल करते हुए Maruti इस क्षेत्र में भी सबसे आगे है. Maruti के फैक्ट्री में मौजूद असेंबली इक्विपमेंट में लगभग 1,700 रोबोट हैं जो हर 12 सेकेण्ड एक नयी कार बनाते हैं! और ये कुछ ऐसा है जो एक मार्केट लीडर के पास ही हो सकता है.
Maruti 800
वर्ष 1983 में Maruti ने पहली Maruti 800 बनाई थी. इस कार ने इंडियन मार्केट को ना ही अपना दीवाना बना दिया, बल्कि ये भी सुनिश्चित किया की इंडिया में मध्यम वर्ग परिवार का कार खरीदने का सपना पूरा हो सके. इंडिया की दुलारी इस गाड़ी का निर्माण आखिरकार फ़रवरी 2014 में बंद कर दिया गया. 31 सालों के लम्बे लाइफ साइकिल के बाद Maruti 800 के निर्माण के बंद होने के साथ ही एक युग का अंत हुआ.
तो ऐसे बनी ये कंपनी
जब राजीव गाँधी के सरकार के दौरान Maruti Udyog Limited से पार्टनरशिप में कार बनाने की बात हो रही थी, तब Suzuki इसके रेस में भी नहीं थी. लेकिन कहते हैं ना, दाने-दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम. संयोगवश उस वक़्त Suzuki के एक सीनियर डायरेक्टर इंडिया में थे और उन्होंने एक घरेलु फ्लाइट पर Daihatsu-Maruti के पार्टनरशिप के कयास की ख़बर India Today मैगज़ीन में पढ़ी. और मौके को ताड़ते हुए Suzuki भी पार्टनरशिप की होड़ में शामिल हो गयी. फिर बाकी इतिहास ही गवाह है की इस पार्टनरशिप ने क्या गुल खिलाये.
ये था मकसद!
Maruti Udyog Limited की शुरुआत असल में 1981 में हुई थी और उस वक़्त की सरकार का इसमें कितना हाथ था ये विवाद का विषय है. लेकिन, इस कंपनी का साल मकसद था आम लोगों की एक कार बनाना. अब कंपनी भले ही 1981 में शुरू हुई हो, लेकिन Maruti पहली गाड़ी का प्रोडक्शन 1983 तक ही शुरू कर पायी. प्रोडक्शन में भले ही देरी हुई हो, लेकिन हम सभी लोगों को पता है की कंपनी की पहली गाड़ी ने आम लोगों की कार बनाने में कैसी सफलता हासिल की.