भारत में भी इन दिनों विदेशी मुल्कों के नक्शेक़दम पर ऑटोमैटिक वाहनों की मांग में भारी उछाल देखा जा रहा है. पिछले चंद सालों में ही भारतीय कार बाज़ार में ऑटोमैटिक कार्स ने अपनी उपस्थिति को दो गुना बढ़ा लिया है. कार निर्माता इस बात का फायदा उठाते हुए हर साल बाज़ार में अपने नए ऑटोमैटिक कार मॉडल्स उतार रहे हैं. फिलहाल भारतीय बाज़ार में ग्राहकों के पास ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में चुनने के लिए केवल चार विकल्प मौजूद हैं. कुछ किफ़ायती होने के साथ साथ रख रखाव में भी आसान हैं वहीँ कुछ थोड़े स्पोर्टी और महंगे हैं. हर ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन की अपनी अपनी कुछ खासियतें होती हैं. हम आपको यहां बताएँगे की आपके लिए कौन सा ट्रांसमिशन सबसे बेहतर होगा.
ऑटोमैटिक मैन्युअल ट्रांसमिशन (AMT)
इसे किस्म के लोगों को खरीदना चाहिए? वह लोग जिन्हें ज्यादा माइलेज और किफायती गाड़ी की तालाश है.
AMT एंट्री-लेवल कार्स में मुहैय्या किया जाने वाला सबसे सस्ता ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन है. किफ़ायती सेगमेंट की कार्स में AMT के आगमन ने ऑटोमैटिक कार्स की लोकप्रियता में इज़ाफ़ा किया है. AMT की कार्यप्रणाली मैन्युअल ट्रांसमिशन जैसी ही सरल है. क्लच और गियर शिफ्ट एक्शन के ऑटोमेशन AMT को स्टैंडर्ड मैन्युअल गियरबॉक्स से अलग बनाते हैं. लोग इसे ट्रांसमिशन को अक्सर सेमी-ऑटोमैटिक भी बुलाते हैं.
AMT में आप ऊँचे आरपीएम पर निचले गियर में जाने के समय झटका सा महसूस करते हैं. AMT आपको Tata Nano, Maruti Alto, और Renault Duster जैसी किफायती कार्स के साथ साथ Fiat Abarth 595 जैसी कुछ महंगी कार्स के साथ भी उपलब्ध है. AMT की इतनी अधिक लोकप्रियता के पीछे के कारण हैं एक तो अच्छी माइलेज और दूसरा ऐसे गियरबॉक्स की कम कीमत. AMT ऐसे ग्राहकों के लिए आदर्श है जो अच्छी माइलेज के साथ ही ऑटोमैटिक गियरबॉक्स की सुगमता चाहते हैं.
कंटीन्यूअस वेरिएबल ट्रांसमिशन (CVT)
इसे किस्म के लोगों को खरीदना चाहिए? वे लोग जो एक बेहतरीन ऑटोमैटिक कार की चाहत रखते हैं.
CVT गियरबॉक्स AMT से एक ख़ास तरीके से अलग है. जहाँ AMT में क्लच को ऑपरेट करने के लिए एक सर्वो का इस्तेमाल होता है, CVT में गियर्स ही नहीं होते — है ना अजीब. असल में CVT में दो डिस्क्स के ज़रिये टॉर्क को आरपीएम में बदला जाता है. भारतीय बाज़ार में CVT गियरबॉक्स का इस्तेमाल स्कूटर्स में अधिक हो रहा है. CVT गियरबॉक्स बहुत ही स्मूथ और शांत ड्राइविंग अनुभव के लिए जाना जाता है. Nissan Micra, Maruti Baleno, Honda City, और Honda Jazz जैसी कार्स में आप CVT गियरबॉक्स लगा पाएंगे. Honda अपने City और Jazz CVT मॉडल्स में पैडल शिफ्टर्स ऑफर करती है. CVT उन लोगों द्वारा चुना जाता है जो ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के ज़रिये ट्रैफिक जाम से भरी सड़कों पर आरामदायक सवारी का आनंद उठाना चाहते हैं.
ड्यूल क्लच ट्रांसमिशन
इसे किस्म के लोगों को खरीदना चाहिए? वो लोग जो एक हाई-परफॉरमेंस ऑटोमैटिक्स की चाहत रखते हैं.
DSG या ड्यूल क्लच ट्रांसमिशन के नाम से पहचाने जाने वाले ये गियरबॉक्स ऑटोमैटिक गेयरबॉक्स में ज़्यादा आधुनिक हैं. DSG की AMT या CVT के मुक़ाबले सबसे बड़ी खूबी है इसकी बिजली जैसी तेज़ गियर शिफ्टिंग. DSG में इस्तेमाल किये जाने वाले ड्यूल क्लच सिस्टम के चलते ये उच्च स्तर की प्रतिक्रियात्मकता और तेज़ी प्रदान करते हैं. ड्यूल क्लच अलटरनेट गियर्स का इस्तेमाल कर शिफ्टिंग के दौरान इनको बहुत तेज़ी से उपयोग में लाते हैं. DSG गियरबॉक्स वेट और ड्राई कॉन्फ़िगरेशन में आते हैं जो जिस इंजन से इनको जोड़ा गया है उसकी टॉर्क रेटिंग पर निर्भर करता है. DSG को समान्यतः हाई-एन्ड लग्ज़री और परफॉरमेंस कार्स में ही इस्तेमाल किया जाता है. कार निर्माता DSG को VW Polo GT TSI, Skoda Rapid, Ford Figo, और अन्य कार्स के साथ उपलब्ध करवा रहे हैं. DSG उन लोगों को आकर्षित करता है जो एक पावरफुल इंजन और ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के मिश्रण के थ्रिल और ड्राइविंग का आनंद लेना चाहते हैं.
टॉर्क कनवर्टर
इसे किस्म के लोगों को खरीदना चाहिए? जिनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है
टॉर्क कनवर्टर ऑटोमैटिक गियर बॉक्सेज़ में सबसे पुराना है. इनके ऑपरेशन के पीछे की तकनीक बहुत जटिल है. टॉर्क कन्वर्टर टरबाइन और इम्पेलर के साथ प्लेनेटरी डिज़ाइन गियर सिस्टम का इस्तेमाल करता है. इस सिस्टम के चलते बहुत ज़्यादा ट्रांसमिशन लॉस होता है जो की कम माइलेज का कारण बनता है. टॉर्क कन्वर्टर्स आधुनिक विकल्पों के चलते अब धीरे धीरे प्रचलन से बाहर होते जा रहे हैं. फ़िलहाल कार निर्माता टॉर्क कनवर्टर को Mahindra XUV500 और Tata Hexa जैसी SUVs में ही इस्तेमाल कर रहे हैं.