जहां भारत सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चलन में लाने को अपने क़दमों को लेकर काफी उत्साहित दिख रही है, एक खबर सामने आई है की सड़क पर हज़ारों इलेक्ट्रिक कार्स को लाने की डेडलाइन को एक साल पीछे कर दिया गया है. इसे सरकार के अपने अधिकांश गाड़ियों को 2030 तक इलेक्ट्रिक करने के महत्वकांक्षी प्लान को एक धक्का माना जा रहा है.
सरकार के पुराने गाड़ियों को इलेक्ट्रिक कार्स से रिप्लेस करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी सरकारी इकाई Energy Efficiency Services Ltd. अब 10,000 इलेक्ट्रिक कार्स को March 2019 तक ही सप्लाई कर पाएगी. यहाँ इस बात पर गौर किया जाना चाहिए की EESL ने पहले प्लान किया था की वो 500 गाड़ियों को पिछले साल के नवम्बर तक और बाकी को इस साल के जून तक लाएगी. लेकिन अब ऐसा लगता है की एजेंसी इस डेडलाइन पर खरे उतरने से लगभग एक साल दूर है.
एजेंसी के मैनेजिंग डायरेक्टर Saurabh Kumar ने कहा की “10,000 कार्स के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाना और राज्यों की डिलीवरी लेने में देरी विलम्ब के मुख्य कारण हैं.” नयी दिल्ली में लगभग 150 इलेक्ट्रिक कार्स हैं और आंध्र प्रदेश में 100. अभी तक, इन गाड़ियों के लिए मात्र 200 चार्जिंग स्टेशन बन पाए हैं. इनमें से 100 से ज्यादा दिल्ली में हैं.
सरकार के पेट्रोल और डीजल गाड़ियों को रीप्लेस करने के लिए 10,000 इलेक्ट्रिक गाड़ियों के खरीद पर BNEF एनालिस्ट Allen Tom Abraham ने कहा “ये टेंडर इलेक्ट्रिक गाड़ियों के डिमांड को सबसे ज्यादा बढाते हैं. अगर ये बड़े खरीद के प्रोग्राम डगमगाने लगे, ऑटो निर्माता इंडिया में अपने इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लॉन्च के प्रोग्राम को और टालेंगे.”
यहाँ ध्यान देना चाहिए की EESL को इलेक्ट्रिक कार सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट Tata Motors Ltd. और Mahindra & Mahindra Ltd. के पास है. इसपर बोलते हुए Kumar ने कहा “मेरे पास आज 19,000 कार्स की डिमांड है और अगर और कार्स की डिमांड नहीं आई, तीसरा टेंडर नहीं होगा.” अब देखना ये होगा की क्या ये सरकारी एजेंसी March 2019 तक 10,000 इलेक्ट्रिक गाड़ियां लाने में सफल होगी या नहीं.
सोर्स — The Economic Times