हम भारत में वाहनों में आग से होने वाले हादसों की संख्या में वृद्धि देख रहे हैं। हालांकि, अधिकांशतः ईवी कारों में ही आग लगने की रिपोर्ट आती है, लेकिन ऐसे कई मामले हैं जहां आईसीई वाहनों में भी आग लगी है। यहां हम हरियाणा में हुए ऐसे ही एक हादसे की बात कर रहे हैं जहां एक Mahindra Thar जो सिर्फ एक महीने पहले ही ली गई थी और उसमें आग लग गई जिससे यह Thar पूरी तरह से नष्ट हो गई। ओनर के लिए समस्याओं का अंत यहीं नहीं हुआ और अब उन्हें जिस नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है वह है की बीमा कंपनी और कार निर्माता दोनों उसे उसके नुकसान की भरपाई के लिए कोई समाधान नहीं प्रदान कर रहे हैं।
आखिर हुआ क्या
इस वीडियो को प्रतीक सिंह ने अपने YouTube चैनल पर शेयर किया है। इस वीडियो में, व्लॉगर ने बताया है कि ओनर ने इस कार को पिछले साल दिसंबर में खरीदा था। उसने कार को लगभग 700 किलोमीटर तक चलाया और पहली सर्विस के लिए डीलरशिप ले गया। जब वह कार छोड़ रहा था, तो उसने कर्मचारियों को बताया कि जब भी वह 50-60 किलोमीटर से अधिक चलाने के बाद कार को रोकता है, तो कैबिन के अंदर जलती हुई गंध आती है।
सर्विस सेण्टर की लापरवाही
सर्विस सेंटर ने इसे ध्यान में रखा और जब वह अपनी कार लेने वापस आया, तो उन्होंने उसे बताया कि समस्या हल हो गई है और चिंता करने की कोई बात नहीं है, क्योंकि नई कारों में ऐसी गंध आमतौर पर महसूस होती है। ओनर ने तकनीशियनों की बात पर विश्वास किया और कार ले गया। उसने कुछ समय बाद फिर से वही समस्या रिपोर्ट की लेकिन सर्विस सेण्टर की प्रतिक्रिया वही रही।
दुर्घटना
एक दिन वह अपने परिवार के साथ अपने घर से 200 किलोमीटर दूर एक शादी में जाने के लिए निकला। गंतव्य पर पहुंचने के बाद, उन्होंने कार पार्क की और ओनर बताते हैं कि जब वह इसे पार्क कर रहा था, तो उसे कार के अंदर कुछ जलती हुई गंध आई। उसने गंध को नजरअंदाज किया, कार पार्क की और अपने परिवार के साथ चल दिया। उन्होंने बाहर निकलने के कुछ मिनट बाद किसी ने उन्हें बताया कि Thar में आग लग गई है।
स्थानीय लोगों आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ और फ़ायर ब्रिगेड के घटना स्थल पर पहुँचने तक कार पूरी तरह से नष्ट हो चुकी थी। कार में आग लगने के बाद, ओनर ने इस हादसे के बारे में बीमा कंपनी और डीलर को सूचित किया। बीमा कंपनी ने जांच करने के लिए एक कार्यकारी भेजा और ओनर को बताया कि उन्हें डीलर से बात करनी चाहिए, क्योंकि कार में आग मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट के कारण लगी थी।
बीमा कंपनी की रिपोर्ट
जाँच में बीमा कंपनी ने पाया की कार में एक आफ्टर मार्केट रियर कैमरा भी था। बीमा कंपनी ने कहा कि वे दावा अस्वीकार कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने कार में एक आफ़्टर मार्किट एक्सेसरी पाई। यहां दावा अस्वीकार करने के लिए बीमा कंपनी गलत नहीं है। ओनर बताते हैं कि उन्होंने कैमरा डीलरशिप से लगवाया था; हालांकि, लगाए गए पार्ट्स OEM नहीं थे। उन आधारों पर, बीमा कंपनी ने दावा अस्वीकार कर दिया।
फिर ओनर इस मामले को जब तो शुरू में तो उन्होंने इसके समाधान में कोई रूचि नहीं दिखाई । जब उन्होंने सोशल मीडिया पर मामला पोस्ट किया, तो उन्होंने कार ले ली और इसे जांचा। जांच के बाद, उन्होंने रिपोर्ट जमा की कि कार में कोई निर्माण दोष नहीं था और आग लगने का कारण बाहरी (एक्सटर्नल रीज़न) था।
ओनर की स्थिति
निर्माता और बीमा कंपनी दोनों ही उसे कोई समाधान नहीं प्रदान कर रहे हैं, और ग्राहक अब पूरी तरह से जली हुई कार के साथ फंस गया है जिसके लिए उसने अच्छे-खासे पैसे दिए हैं। अधिकांश लोग ऐसी कारें ईएमआई पर खरीदते हैं। यदि यहां ऐसा है, तो ग्राहक अब ऐसी कार के लिए ईएमआई भुगत रहा है जो अब मौजूद ही नहीं है या जिसे वह चला नहीं सकता।
दरअसल गलती हुई कहाँ?
हम सचमुच उम्मीद करते हैं कि निर्माता जल्द ही एक समाधान लाएगा और इस मुद्दे को हल करेगा। हमें लगता है कि यदि सर्विस सेंटर ने ग्राहक द्वारा कार में जलने की गंध की रिपोर्ट करने पर ठीक से जाँच-पड़ताल की होती तो शायद इस दुर्घटना को टाला जा सकता था।