ट्रक चलाना एक बेहद मुश्किल काम होता है क्योंकि काम का वातावरण कुछ ख़ास आरामदायक नहीं होता और आपको अकसर घंटों तक ड्राइव करना होता है. इस काम में बहुत कम महिला ड्राइवर्स हैं, और यहाँ मुख्यतः मर्दों का ही दबदबा रहता है. लेकिन इस बात को झुठला रही हैं Bhopal की ट्रक ड्राईवर Yogita Raghuvanshi. इस 47 वर्षीय, 2 बच्चों की माँ ने 2003 में अपने पति की आकस्मिक मौत के बाद ये काम शुरू किया.
3 ट्रक और 2 बच्चों के साथ अकेली, Ms. Raghuvanshi ने अपने पति का बिज़नस संभाला और ट्रक ड्राइविंग सीखी. बाद में उन्होंने ड्राइविंग की शुरुआत उन्हीं के एक ट्रक ड्राईवर की भरपाई के लिए शुरू की. उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा है. वो 10 चक्कों वाला ट्रक चलाती हैं और अक्सर नाज़ुक सामान पहुंचाती है. उन्होंने अपने काम के बारे में ये कहा,
मुझे इस काम तक ज़रुरत लेकर आई. मेरी बेटी 8 साल की थी और बेटा 4 साल का जब मेरे पति एक सड़क हादसे में मारे गए. मुझे एहसास हुआ की उन्हें पढ़ाने के लिए मुझे काम करना होगा. मेरे पति एक वकील थे जो साथ ही ट्रांसपोर्ट का कारोबार भी चलाते थे. मेरे पास 3 ट्रक हुआ करते थे. मैंने बिज़नस चलाने के लिए एक ड्राईवर और एक हेल्पर को रखा. 6 महीने के अन्दर ही मेरा ड्राईवर भाग गया. उसने Hyderabad के पास ट्रक को एक फील्ड में घुसा दिया था, मैं एक मैकेनिक एवं मेरे हेल्पर के साथ वहां गयी, 4 दिन में गाड़ी को सही कराया और भोपाल वापस आ गयी. इन चार दिनों घर पर मेरे बच्चे अकेले थे. मैंने ड्राइविंग सीखने का ठान लिया था. शुरू के कुछ ट्रिप्स पर में हेल्पर को साथ लेकर जाती थी फिर जल्द ही मैं अकेले ट्रेवल करने लगी. मैं द्कस्हीं के छोटे-छोटे जगहों के बारे में भी जानती हूँ. कभी कभी जब मैं कुछ ऐसा सामान ले जा रही होती हूँ जो जल्द खराब हो जायेंगे, मुझे रात भर ड्राइव करना पड़ता है. अगर मुझे नींद आती है, मैं फ्यूल पंप के पास ट्रक लगाकर एक छोटी सी झपकी ले लेती हूँ. मैं एक पगड़ी पहन एवं कॉलर ऊपर कर एक पुरुष जैसे चलती हूँ. (तब से जब खाना बनाने के दौरान हाईवे के किनारे 3 लोगों ने मुझपर हमला किया था) मैंने उन्हें भगा दिया. जब तक मदद आई, मैं चोटिल हो गयी थी, लेकिन मैंने उन्हें भी सबक सिखाया.
इंडिया के सड़कों पर ट्रक चलाना बिल्कुल भी आसान काम नहीं है. Yogita Raghuvanshi जैसी स्त्री को ऐसा कर के लीक से हटकर चलते हुए देखना हम सभी के लिए प्रेरणा का एक स्त्रोत है.
वाया — TelegraphIndia