इंडिया जुगाड़ का देश है और ड्राइविंग लाइसेंस में जुगाड़ भी हमारे देश में खूब चलता है. जहां ज़रूरी टेस्ट और प्रक्रिया लागू होती है, ये कोई छिपी हुई बात नहीं है की कई भारतीय जुगाड़ की ज़रूरी प्रक्रिया से कई लोग लाइसेंस प्राप्त कर लेते हैं. ऐसे ड्राईवर को सही ट्रेनिंग नहीं मिलती है चूंकि अधिकांश लोग अपने रिश्तेदारों से ही ड्राइविंग सीख लेते हैं. इसके चलते वो सही से ड्राइविंग नहीं सीख पाते जिससे सड़क पर गाड़ी कैसे चलानी है ये उन्हें पता नहीं चल पाता.
यही कारण है की आपको रोड पर ऐसे लोग मिल जायेंगे जो बिना मतलब के हॉर्न बजाते हैं या बिना मतलब के क्लच दबाये रहते हैं. ये कहना कोई गलत बात नहीं होगी की कई इंडियन ड्राइवर्स को बेहद बेहूदी चीज़ें करने की आदत होती है.
इंजन चालू कर गाड़ी खड़ी रखना माइलेज पर असर नहीं डालता
मानिए या ना मानिए लेकिन ये बात सामने आई है की इंडिया में 26% ड्राइवर्स मानते हैं की खड़े रहते वक़्त इंजन चालू रखना उसे बंद रखने से अलग नहीं होता. लेकिन असल में इंजन बंद करने से ज़्यादा फ्यूल बचता है.
पहाड़ी रास्ते माइलेज पर फर्क नहीं डालते
पहाड़ी सड़कों पर रोड ऊपर और नीचे जाती रहती है जिससे इंजन को हमेशा ज़्यादा काम करना पड़ता है. ये बात कार के माइलेज पर असर डालती है. ऐसे में सपाट जगहों के मुकाबले पहाड़ी इलाकों में आपकी कार ज़्यादा फ्यूल इस्तेमाल करने लगती है. भारत में 52% लोगों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है की चढ़ान पर जाते ही आपकी गाड़ी का माइलेज कम होना शुरू हो जाता है.
तेज़ एक्सीलीरेशन माइलेज पर कोई असर नहीं डालता
ये कुछ ऐसा है जो इंडिया में कम से कम 40% of ड्राइवर्स मानते हैं. ये मजेदार तो होता है लेकिन माइलेज पर प्रभाव डालता है. हम में से कई लोग नहीं जानते की तेज़ एक्सीलीरेशन या इंजन को बिना मतलब रेव करना कार के माइलेज पर बुरा असर डालता है.
क्रूज़ कण्ट्रोल से माइलेज पर कोई फर्क नहीं पड़ता
इंडिया के 78% ड्राइवर्स का मानना है की क्रूज़ कण्ट्रोल माइलेज पर असर नहीं डालता. क्रूज़ कण्ट्रोल स्पीड बरकरार रखने का एक जरिया होता है और इससे इंजन बिना मतलब के एक्सीलीरेशन नहीं होने के चलते काफी फ्यूल बचाता है.
GPS माइलेज बढ़ाने में मदद नहीं करता
घर से निकलने से पहले GPS चेक करना एक अच्छी आदात होती है. इंडिया में इन्टरनेट का परचम भी लहरा रहा है लेकिन फिर भी इंडिया के लोग GPS से कतरा रहे हैं. GPS की मदद से आप ट्रैफिक वाले जगह जाने के बजाय दूसरे रास्ते जा सकते हैं. धीर-धीरे चल रही ट्रैफिक में फँस जाना माइलेज कम करने का सबसे अच्छा तरीका होता है. लेकिन भारत के कम से कम 27% ड्राइवर्स का ये मानना है की GPS उन्हें माइलेज बढ़ाने में मदद नहीं करता है!
समय पर सर्विस से गाड़ी की माइलेज सही होती है
ये बड़ी आम सी बात लगती है की रेगुलर सर्विसिंग से कार सही हालत में रहती है लेकिन सिर्फ एक-तिहाई कार ओनर इसका पालन करते हैं. रेगुलर सर्विसिंग जैसे आम से कदम से आपकी कार सही हालत में रहती है और इसकी माइलेज भी सही रहती है. समय पर मेन्टेन नहीं करने से गाड़ी के माइलेज पर काफी बुरा असर पड़ता है और भारत में लगभग 33% ड्राइवर्स को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है.
मौसम और माइलेज को कोई नाता नहीं
हर इंजन का एक तापमान होता है जिसपर वो सबसे अच्छा परफॉर्म करता है. ठण्ड के मौसम में इस तापमान पर पहुँचने में ज़्यादा समय लगता है जिससे माइलेज कम होती है. वहीँ गर्मी में एसी के इस्तेमाल के चलते माइलेज कम होता है. साथ ही तेज़ रफ़्तार पर चलाने से हवा की अवरोधक क्षमता बढ़ जाती है जिससे माइलेज कम होता है. लेकिन, खिड़कियाँ चढ़ाकर और एसी के इस्तेमाल से इसे कम किया जा सकता है. लेकिन कम स्पीड पर माइलेज बढाने के लिए एसी बंद कर खिड़कियाँ खोल लेना बेहतर होता है.
गाड़ी का वज़न माइलेज पर असर नहीं डालता
ये एक बड़ी आम सी बात है की जितना वज़न आपकी गाड़ी का होगा उसका माइलेज उतना ही कम होगा. लेकिन अधिकांश लोग अपने कार को बैंक का लॉकर बना लेते हैं जिससे कार की माइलेज कम हो जाती है. इसलिए सबसे बेहतर होगा की अपनी कार से गैर-ज़रूरी चीज़ें हटा लीजिये. कम वज़न से माइलेज बढ़ेगा. वज़न का माइलेज से ख़ास नाता होता है जिसके चलते आजकल सारे निर्माता गाड़ी के वज़न को कम करने में लगे हैं, भारत में 65% ड्राइवर्स को इस बात को कोई अंदाजा नहीं था.
Ford Motor Company ने एक सर्वे कराया था जिसने एशिया-प्रशांत के 11 देशों में 9,500 ड्राइवर्स के सवाल किये गए. इन 9,500 ड्राइवर्स में से 1,023 इंडियन थे. ये आर्टिकल इस सर्वे से मिले आंकड़ों के अनुसार लिखा गया है.