मार्केट में मौजूद लगभग सभी डीजल इंजन कार्स में टर्बोचार्जर होता है. उत्सर्जन नियम कड़े होने के साथ कई पेट्रोल कार्स में भी टर्बोचार्जर्स आने लगे हैं. टर्बोचार्जर से इंजन का पॉवर बढ़ जाता है जिससे निर्माता छोटे इंजन से भी ज़्यादा आउटपुट निकाल सकते हैं. रोड पर बढ़ते हुए टर्बोचार्जर गाड़ियों की संख्या के साथ ये जानना ज़रूरी है की आप ऐसे इंजन का देखभाल कैसे करें. टर्बोचार्जर एक तेज़ी से घूमने वाला यन्त्र होता है जो कम्बशन चैम्बर में कंप्रेस्ड हवा लाता है और ये काफी महंगा होता है. पेश हैं 5 नुस्खे जिससे आप अपने टर्बोचार्जर को लम्बे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं.
कोल्ड इंजन रेव
कोल्ड इंजन में काफी आसानी से टूट फुट हो सकती है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की इंजन नैचुरली एस्पिरेटेड है या टर्बोचार्ज्ड, कोल्ड इंजन को ज़्यादा रेव नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन टर्बोचार्ज्ड इंजन में डैमेज ज़्यादा होता है. इंजन ऑइल इंजन में लुब्रीकेशन देकर उसे टूट-फुट से बचाता है. लेकिन जब तक इंजन ऑइल एक निश्चित तापमान तक नहीं पहुँच जाए, वो इंजन के हर कोने तक नहीं पहुँच पाता.
टर्बोचार्जर को लुब्रीकेटेड और सही तापमान पर रखने का काम भी इंजन ऑइल का ही होता है. और टर्बो के फुल स्पीड तक पहुँचने से पहले ये ज़रूरी है की उसकी लुब्रीकेशन सही से हो. अगर आप ऐसी कार चला रहे हैं जिसमें टेम्परेचर गेज है, तो उसपर नज़र बनाये रखें. अगर गॉज नहीं है, हमेशा धीरे चलें, और इंजन आरपीएम को कम रखें. पुराने जनरेशन वाले कार्स से उलट, मॉडर्न कार्स को खड़े रह कर गर्म होने की ज़रुरत नहीं होती.
इंजन को थोडा सेटल होने दें
टर्बोचार्जर एग्जॉस्ट गैस से चलती है. गर्म एग्जॉस्ट गैस और टर्बोचार्जर की तेज़ घूमने की स्पीड उसे एक ड्राइव के बाद काफी गर्म कर देता है. टर्बोचार्जर के तेज़ तापमान से काफी सारा इंजन ऑइल जल जाता है. साथ ही अगर आप तेज़ रफ़्तार पर कार चलाकर अपनी कार को अचानक से बंद कर देते हैं, एग्जॉस्ट गैस चार्जर के अन्दर फँसी रह जाती है, और समय के साथ, चार्जर की लाइफ कम करता है.
इस बात को सुनिश्चित करने के लिए की टर्बोचार्जर अच्छे से लुब्रीकेटेड है और उसमें एग्जॉस्ट गैस नहीं है, गाड़ी को बंद करने से पहले थोड़ी देर इंजन को चालू रखें. ये फिर आप अंत के कुछ किलोमीटर तक गाड़ी को लो आरपीएम पर चला सकते हैं.
इंजन को ऊंचे गियर में कम स्पीड पर चलाना
ऐसा करने से इंजन एक लो लेवल तक आ जाता है, जो ज़्यादा माइलेज का छलावा पैदा करता है. जहां लो आरपीएम से माइलेज बढ़ता है, टर्बोचार्ज्ड इंजन में ये बात सही नहीं होती.
टर्बोचार्जर एग्जॉस्ट गैस की मदद से हाई स्पीड तक पहुँचता है जिसकी मदद से इंजन के अन्दर हवा ज़बरदस्ती आती है. अगर टर्बोचार्जर एक निश्चित आरपीएम पर नहीं घूमता, ये वैसा नहीं घूमेगा जैसा इसे घूमना चाहिए और इससे इंजन कम पॉवर पैदा करता है.
डीजल कार्स में फ्यूल एक्सीलीरेटर इनपुट के मुताबिक़ डिलीवर होता है, और अगर आप ऊंचे गियर में कम स्पीड पर चल रहे हैं, आपको इंजन को चलता हुआ रखने के लिए एक्सीलीरेटर को ज़्यादा दबाना पड़ता है. इससे इंजन ज़्यादा फ्यूल के साथ कम इंजन दबाव में चलता है और काफी सारा फ्यूल जल नहीं पाता. इससे इंजन ज़्यादा फ्यूल इस्तेमाल करता है और आगे चलकर ये आपके टर्बोचार्जर और एग्जॉस्ट सिस्टम को डैमेज कर देता है. छोटे इंजन में ऐसा करने से इंजन भी डैमेज हो सकता है. आपको हमेशा कार के मैन्युअल में दिए गए गियर के मुताबिक़ ही गाड़ी चलानी चाहिए.
सस्ता फ्यूल इस्तेमाल करना
मिलावट वाला फ्यूल इस्तेमाल करने से आपका टर्बोचार्ज्ड इंजन बुरी तरह से डैमेज हो सकता है. ऐसा फ्यूल अच्छी तरह से जलता नहीं है जिससे टर्बोचार्जर के क्रिया पर असर पड़ता है. अगर आप एक टर्बोचार्ज्ड गाड़ी चला रहे हैं, इस बात का हमेशा ख्याल रखें की आप फ्यूल एक जाने-माने जगह से भरवाएं.
मोड़ से मुड़ते वक़्त तेज़ एक्सीलीरेशन
लेकिन ये तो काफी मजेदार होता है ना? इसमें मज़ा तो आता है लेकिन आपको इसके लिए टर्बो लैग को समझने की ज़रुरत होती है. टर्बोचार्ज्ड गाड़ियों का रिस्पांस थोड़ा लेट होता है क्योंकि टर्बो को काम करने में थोडा वक़्त लगता है. इससे कार ओवरस्टीयर या अंडरस्टीयर (कार के लेआउट के हिसाब से) होती है. अगर कार का फ्रंट और रियर स्लिप एंगल बराबर नहीं होता, वो स्लाइड होने लगेगी और उसका संतुलन बिगड़ जाएगा.
ऐसे में सबसे अच्छा कदम से होता है की आप कार के एक्सीलीरेटर को धीरे-धीरे इस्तेमाल करें. टर्बोचार्ज्ड गाड़ी में मुड़ते कभी भी एक्सीलीरेटर को मुड़ते हुए पूरी तरह से नहीं दबाएँ.