भारत सरकार ने एक पॉलिसी को स्वीकृति दे दी है जिसके तहत सरकार गाड़ी के रजिस्ट्रेशन डाटा को किसी भी व्यक्ति या समूह को बेच सकती है. या यूँ कहें की भारत सरकार उसके पास पड़े गाड़ी रजिस्ट्रेशन के बड़े डाटा से पैसा कमाना चाहती है. हर साल भारत में लाखों गाड़ियां रजिस्टर होती हैं और नया डाटा बनाता जाता है. जल्द ही ये डाटा मार्केट में बिक्री के लिए हाज़िर होगा और जिस पॉलिसी को स्वीकृति मिली है उसका नाम ‘Bulk Data Sharing’ है.
क्या किया जायेगा साझा?
गाड़ी के रजिस्ट्रेशन से सम्बंधित 28 प्रकार की सूचनाओं को बेच जा सकेगा जिसमें गाड़ी का नम्बर, इसके फाइनेंस की डिटेल्स, बीमा डिटेल्स, एवं और भी डाटा शामिल होगा. लेकिन इसके तहत गाड़ी के मालिक का नाम नहीं साझा किया जायेगा.
आपका डाटा किसे बेचा जायेगा?
वाणिज्यिक संस्थान, कोई आम व्यक्ति, और शिक्षण संस्थान इस डाटा को खरीद सकते हैं. इस डाटा के लिए वाणिज्यिक संस्थान या किसी आम व्यक्ति को सालाना 3 करोड़ रूपए चुकाने होंगे. जहां तक शिक्षण संस्थान की बात है तो उनके लिए ये फीस हर साल केवल 5 लाख रूपए होगी. लेकिन शिक्षण संस्थान इस डाटा को केवल रिसर्च और अंदरूनी इस्तेमाल के लिए ले पायेंगे.
सरकार का इस बारे में कहना है की एक संतुलित तरीके से डाटा शेयर करने से परिवह एवं ऑटो इंडस्ट्री को मदद मिलेगी. डाटा शेयर करने से सरकार एवं नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी. इसके अलावे मुख्य ध्यान नागरिकों को सरल, बेहतर और ज्यादा सुरक्षित सेवा देने के ऊपर है. बेसिक डाटा को कोई भी mParivahan ऐप के ज़रिये देख सकता है. इस डाटा शेयर करने के पीछे का उद्देश्य ये है की गाड़ियों की बिक्री और ड्राइवर्स की भारती ज्यादा सही तरीके से हो सके. इस डाटा को कभी भी भारत से बाहर किसी सर्वर पर नहीं रखा जायेगा. इस डाटा को सही ढंग से सुरक्षित रखा जायेगा ताकि केवल अधिकृत इंसान हीं इसे देख सकें. डाटा का गलत इस्तेमाल करने पर इसे खरीदने वाले पर उचित क़ानून के तहर कार्यवाही की जाएगी.
आपके ऊपर क्या पड़ेगा प्रभाव?
फिलहाल, इसपर स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है. लेकिन, इससे लोगों की निजता पर असर ज़रूर पड़ेगा.
- सरकार ने खुद कहा है की डाटा की मदद से गाड़ी के मालिक का नाम पता लगाया जा सकता है, बाकी सोशल मीडिया की मदद से इंसान के बारे में और भी ज्यादा पता लगाना उतना मुश्किल नहीं होगा.
- डाटा लीक. जैसा की हमने आधार के साथ देखा है कई बार इस डाटा के लीक हो जाने का खतरा बना रहता है.
- अगर कंपनियां इस डाटा से मालिकों का पता लगाती हैं तो आपके पास टेली-मार्केटिंग और विज्ञापन एवं सेल्स वाले कॉल्स की झड़ी लग सकती है.
वाया — HindustanTimes