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Youtuber का Mahindra Thar को ड्यूरेब्लिटी टेस्ट के दौरान नष्ट करने का प्रयास!

यूट्यूब पर गाड़ी को तोड़ने का चलन पहले भी देखा गया था,पहले यह सिर्फ विदेशों में ही सीमित था, पर अब यह चलन भारत में भी आ पहुंचा। इस बार भारतीय YouTuber “Indian Hacker” ने Mahindra Thar को इस टेस्ट के लिए चुना।

उन्होंने नई Mahindra Thar खरीदी और शुरुआत में उसके दरवाजे को जबरदस्ती बलपूर्वक खोला और बंद किया इसके बाद उन्होंने सीट को भी जबरदस्ती फोल्ड किया और उसे वापस खोला। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए स्टीयरिंग व्हील का भी परीक्षण उसको बलपूर्वक एडजस्ट करते हुए किया गया। उन्होंने हैंड ब्रेक का भी परीक्षण किया।

प्रारम्भिक टेस्ट के बाद, उन्होंने गाड़ी को तेज़ गति से ऊबड़-खाबड़ भूभाग पर चलाया ऐसी स्थिति में Mahindra Thar के बार-बार उछलने से उसका सामने का टायर फट गया। उन्होंने टायर बदला और उसके बाद गाड़ी को जोरदार तरीके से चलाना जारी रखा।

कुछ ही देर के बाद, जब उन्होंने गाड़ी को एक रैम्प पर उछाला, तो गाड़ी मुँह के बल गिरी और उसका रेडिएटर टूट गया। वे गाड़ी को Mahindra Thar सर्विस सेंटर में मरम्मत करवाने के लिए ले गए जहाँ पर उसका रेडिएटर बदला गया।

Youtuber का  Mahindra Thar को ड्यूरेब्लिटी टेस्ट के दौरान नष्ट करने का प्रयास!

इतना ही नहीं, गाड़ी के पेंट की गुणवत्ता की जांच के लिए उन्होंने बड़े पत्थर से गाड़ी को खरोंच लगाई। अंत में, उन्होंने गाड़ी को एक तालाब में डुबो दिया। जब गाड़ी के कैबिन में पानी भर गया, तो उन्होंने उसे बाहर निकालने के लिए एक बैकहो बुलाया और गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन शायद इंजिन बैठ गया था।

यह ड्यूरेबिलिटी टेस्ट नहीं, बल्कि गाड़ी के प्रति अनादर था। वास्तव में, किसी भी गाड़ी का ऐसा परीक्षण करना उसे समझने का तरीका नहीं है। कोई भी वाहन इस तरह का ड्यूरेबिलिटी टेस्ट नहीं पास कर सकता। यह सिर्फ सोशल मीडिया पर व्यूज और लाइक्स प्राप्त करने के लिए गाड़ी का उपयोग करना है।

यही कारण है कि वास्तविक ड्यूरेबिलिटी टेस्ट कार को विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में हजारों किलोमीटर चला कर पहले ही किया जाता है। लेकिन कुछ लोगों का इस प्रकार का टेस्ट करना गाड़ी के प्रति उनकी असम्मानजनक सोच को दिखाता है।

वास्तविकता में, कोई भी वाहन चाहे वो आर्मी का ही क्यों न हो इस तरह के ड्यूरेबिलिटी टेस्ट का सामना नहीं करता, ड्यूरेबिलिटी टेस्ट सिर्फ़ यह जांचने के लिए किये जाते हैं कि हज़ारों किलोमीटर की ड्राइव का वाहन के सस्पेंशन और अन्य पार्ट्स पर क्या प्रभाव पड़ता है न कि बलपूर्वक और अप्राकृतिक तरीकों से वाहन को चोट पहुंचा कर उसकी मजबूती परखने के लिए।